Shodashi Secrets
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कामपूर्णजकाराख्यसुपीठान्तर्न्निवासिनीम् ।
वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—
सानन्दं ध्यानयोगाद्विसगुणसद्दशी दृश्यते चित्तमध्ये ।
Darshans and Jagratas are pivotal in fostering a sense of Neighborhood and spiritual solidarity between devotees. In the course of these gatherings, the collective energy and devotion are palpable, as participants engage in various forms of worship and celebration.
The exercise of Shodashi Sadhana can be a journey in the direction of both of those enjoyment and moksha, reflecting the twin character of her blessings.
ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः
सर्वज्ञादिभिरिनदु-कान्ति-धवला कालाभिरारक्षिते
When the Shodashi Mantra is chanted with a transparent conscience and also a identified intention, it may make any wish arrive legitimate to suit your needs.
The Shodashi Mantra is a 28 letter Mantra and so, it is without doubt one of the most straightforward and most straightforward Mantras that you should recite, don't forget and chant.
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If you're chanting the Mantra for a selected intention, write down the intention and meditate on it 5 minutes ahead of starting Using the Mantra chanting and 5 minutes once the Mantra chanting.
शस्त्रैरस्त्र-चयैश्च चाप-निवहैरत्युग्र-तेजो-भरैः ।
Celebrations like Lalita Jayanti spotlight her significance, in which rituals and choices are created in read more her honor. The goddess's grace is believed to cleanse past sins and direct 1 in the direction of the final word target of Moksha.
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।